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Pema Gyamtsho
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पर्वत धरती के स्वास्थ्य का पैमाना हैं – विश्व के इन विशाल भूखंडों में होने वाले बदलाव अन्य हिस्सों में नदियों के बहाव, फसल, और आजीविका को प्रभावित करते हैं। फिर भी, वैश्विक स्तर पर अमेज़न या ध्रुवीय क्षेत्रों की तुलना में, इन महत्वपूर्ण क्षेत्रों को मिलने वाली मान्यता और पहचान अनुत्साहित करने वाली रही है। आज के दिन हर वर्ष मनाया जाने वाला अंतर्राष्ट्रीय पर्वत दिवस सम्पूर्ण विश्व से एक निवेदन है कि वह इन सुप्रतिष्ठित, महत्वपूर्ण, और उपेक्षित क्षेत्रों के महत्त्व को समझे और इनका ध्यान रखे। हमें यह समझना होगा कि यदि हम अपना सामूहिक भविष्य बचाना चाहते हैं, तो जलवायु और अन्य परिवर्तनों के विरुद्ध अपनी लड़ाई हमें इस मोर्चे — जो विश्व के सबसे ऊंचे, सबसे नाज़ुक, और सबसे ज़्यादा प्रभावित होने वाले क्षेत्र हैं — पर लड़नी होगी। इस श्रृंखला में इस वर्ष के अंतर्राष्ट्रीय पर्वत दिवस का विषय अत्यंत उपयुक्त है — “पर्वतीय जैव-विविधता” जो पर्वतों की विशिष्टता और महत्त्व को दर्शाती है। यह उन तमाम खतरों की ओर भी ध्यान खींचती है जो जीवन की विविधता में भारी कमी ला सकते हैं. और साथ ही, अपने पर्वतों की रक्षा करने के लिए एक एकीकृत पहल की ज़रुरत को भी रेखांकित करती है।
पहाड़ वास्तविक रूप में जैव-विविधता का खज़ाना हैं। विश्व का केवल 27 प्रतिशत भाग होने के बावजूद जैव-विविधता में उनका योगदान बहुत ही बड़ा है, जहां वे विश्व की लगभग आधी जैव-विविधता तप्त स्थल/ केंद्रों (हॉटस्पॉट) को आवास प्रदान करते हैं। ये भूखंड विश्व की 85 प्रतिशत से ज़्यादा स्थल-जलचर, पक्षी, और स्तनपायी प्रजातियों का घर हैं जिनमें कई प्रजातियां केवल पहाड़ों पर ही पायी जाती हैं। 20 सबसे महत्वपूर्ण खाद्य फसलों में से 6 पर्वतों पर उत्पन्न हुई थीं। अध्ययनों में पाया गया है कि विषम परिस्थितियों, ऊँचाई, और पृथक होने के बावजूद (या इसके कारण) पहाड़ों पर जैव-विविधता प्रचुरता से फलती-फूलती है। साथ ही, पर्वतीय जैव-विविधता स्थानीय समुदायों को विशिष्ट जानकारियों और अनुभवों के साथ विकसित होने का अवसर देती है। दरअसल, यह प्रमाणित है कि जैव-विविधता के साथ भाषाई और सांस्कृतिक विविधता का भी विकास होता है।
स्पष्ट है कि पहाड़ विविधता के लिए हर मायने में ज़रूरी हैं। विश्व भर में पर्वत श्रृंखलाएं जल-स्तम्भों/मीनारों की तरह काम करती हैं, जलवायु नियंत्रित करती हैं, और निचले क्षेत्रों में विविध जीवन और संस्कृति का पोषण करती हैं। हिन्दुकुश हिमालय लगभग 200 करोड़ लोगों को पारिस्थितिकी तंत्र सेवाएं प्रदान करते हैं, जो कि विश्व में अन्य किसी भी पर्वत शृंखला से अधिक है।
हिन्दुकुश हिमालय जैवविविधता का गढ़ हैं जो विभिन्न देशों की सीमाओं को परस्पर जोड़ते हुए अनगिनत असाधारण प्रजातियों को पनपने का अवसर देते हैं। हिन्दुकुश हिमालय में 85 प्रतिशत से अधिक ग्रामीण समुदाय अपने जीवन निर्वाह के लिए जैव-विविधता पर प्रत्यक्ष रूप से निर्भर हैं। हिन्दुकुश हिमालय क्षेत्र की गोद में पौधों की 35,000 से अधिक और जानवरों की 200 से अधिक प्रजातियां पलती हैं। रोचक तथ्य यह है कि अनगिनत फसलें और जानवर — यहां तक कि पालतू मुर्ग़ा/मुर्ग़ी भी — यहीं से विकसित हुए हैं। और अब भी हमें कई नयी प्रजातियां यहां से मिल रही हैं: 1998 से 2008 के बीच केवल पूर्वी हिमालय में औसतन 35 नयी प्रजातियां हर वर्ष खोजी गयीं।
हिन्दुकुश हिमालय क्षेत्र में 4 वैश्विक जैवविविधता केंद्र, 6 यूनेस्को प्राकृतिक विश्व धरोहर स्थल, 30 रामसर स्थल, और 330 महत्वपूर्ण पक्षी और जैव-विविधता स्थल हैं। यह क्षेत्र 1,000 से अधिक प्रचलित भाषाओँ के साथ विभिन्न संस्कृतियों का घर है, जिसमें इन संस्कृतियों से जुडी पारम्परिक ज्ञान प्रणालियाँ भी सम्मिलित हैं।
लेकिन, वर्तमान में पारिस्थितिकी तंत्र के अनियंत्रित शोषण और जलवायु परिवर्तन से स्थितियां और बिगड़ रही हैं। भंगुर/ नाज़ुक और महत्वपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र – जंगल, आर्द्रभूमि (वेटलैंड्स), चरागाह भूमि, और पहाड़ — नष्ट हो रहे हैं, जिसके कारण प्रजातियों और पारिस्थितिकी तंत्रों के बीच की महत्वपूर्ण कड़ियाँ टूट रही हैं। हिन्दुकुश हिमालय भी इससे अछूते नहीं हैं। जैव-विविधता क्षति और भूमि अवक्रमण की वर्त्तमान दर के रहते इस सदी के अंत तक हमें भारतीय हिमालय में पलने वाली एक-चौथाई स्थानिक प्रजातियों को विलुप्त होते देखना पड़ सकता है। हमारे द्वारा संसाधनों के अनियंत्रित शोषण और वन्यजीवों के आवासों के अतिक्रमण के गंभीर प्रभाव हैं हैं, जैसा कि विनाशकारी कोविड-19 महामारी में साफ़ देखा गया। कोविड-19 एक प्राणीजन्य (ज़ूनॉटिक) रोग है जिससे हमारे द्वारा की गयी प्रकृति की उपेक्षा और दुरूपयोग स्पष्ट तौर पर नज़र आये हैं। यह सोचने वाली बात है कि स्वस्थ और जैवविविध पारिस्थितिकी तंत्र महामारी-स्तर के प्राणीजन्य रोगों से हमारी रक्षा करते हैं, जो कि उनके कई फायदों में से सिर्फ एक है, और हिन्दुकुश हिमालय क्षेत्र इस प्रकार के रोगों के लिए भी अतिसंवेदनशील है।
हिन्दुकुश हिमालय क्षेत्र के समुदायों ने पर्वतीय जैव-विविधता को होने वाली क्षति को कम करने के लिए कई प्रयास किये हैं। उनमें से एक है भारत के पहाड़ी क्षेत्रों में किसानों द्वारा बीजों की अदला-बदली, पुनः उपयोग, और बचत करके फसल अनिवांशिक विविधता का संरक्षण। इसके अलावा पूर्वी नेपाल में समुदायों द्वारा लाल पांडा के आवास का संरक्षण, भूटान में काली गर्दन वाले सारस के शीतकालीन आवास का संरक्षण, पश्चिमी हिमालय में पवित्र वन (सेक्रेड ग्रूव्स) का संरक्षण, और भारत के उत्तर सिक्किम राज्य में जुम्सा के पारम्परिक कार्यालय द्वारा चराई और वन संसाधन उपयोग का प्रबंधन, स्थानीय नेतृत्व और पहल के अन्य उल्लेखनीय उदाहरण हैं। राष्ट्रीय स्तर पर इस तरह के प्रयास उत्साहवर्धक हैं। हिन्दुकुश हिमालय क्षेत्र में आने वाले देश (HKH/एचकेएच देश) आईची टारगेट 11 (Aichi Target 11), जिसका लक्ष्य है 2020 तक संरक्षित क्षेत्रों और अन्य प्रभावी क्षेत्र-आधारित संरक्षण उपायों के माध्यम से संरक्षण, की ओर प्रतिबद्ध हैं। लगभग 40 प्रतिशत एचकेएच क्षेत्र संरक्षित क्षेत्र के रूप में निर्दिष्ट है, और भूटान और नेपाल जैसे देशों ने क्रमशः 51.44 प्रतिशत और 23.39 प्रतिशत क्षेत्र को संरक्षित क्षेत्र कवरेज देने के साथ अपने-अपने लक्ष्य को पार कर लिया है।
यह महत्पूर्ण समय है जबएचकेएच पर्वतीय समुदाय और देश स्वहित हेतु हमारे पहाड़ों और जैव-विविधता संरक्षण के लिए मिलकर प्रयास करें। यह सहयोग वैश्विक महत्त्व वाले ट्रांसबाउन्डरी भूक्षेत्रों में और भी महत्वपूर्ण है।
हम जैविक विविधता सम्मलेन (Convention on Biological Diversity) और जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र संरचना सम्मलेन (United Nations Framework Convention on Climate Change) के तहत हमारे आठ एचकेएच देशों द्वारा किये गए सतत विकास के लक्ष्यों और प्रतिबद्धताओं की ओर काम करने के लिए समर्पित हैं। साथ ही, हमारे एचकेएच कॉल टू एक्शन (HKH Call to Action) का एक्शन 5 जैव विविधता की हानि और भूमि क्षरण को रोककर सेवाओं के निरंतर प्रवाह के लिए पारिस्थितिकी तंत्र के लचीलेपन को बढ़ाने पर केंद्रित है। हाल ही में संपन्न महत्वपूर्ण एचकेएच मंत्रिस्तरीय शिखर सम्मेलन और घोषणा ने कॉल टू एक्शन को मान्यता और बल दिया है, और यह जैव-विविधता संरक्षण के लिए ट्रांसबाउन्डरी सहयोग और विश्व मंच पर एक एकजुट आवाज़ का मार्ग प्रशस्त कर सकता है।
प्राकृतिक वातावरण और वन्यजीवों के संरक्षण के लिए हम अब और प्रतीक्षा नहीं कर सकते। अंतर्राष्ट्रीय पर्वत दिवस 2020 पर आइये, हम एचकेएच की अपार जैव-विविधता को बचाने के लिए अपनी प्रतिबद्धता को पुनः दोहराएं!
आप सभी को मेरी ओर से अंतर्राष्ट्रीय पर्वत दिवस की शुभकामनाएं!
पेमा ग्याम्चोे
महानिर्देशक इसिमोड